माघ महीने में कल्पवास और दान का महत्व है, इसी महीने से होती है वसंत की शुरुआत

 शनिवार, 11 जनवरी से माघ मास शुरू हो रहा है। मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पड़ा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भारतीय संस्कृति में वैसे तो सभी महीनों का महत्व है, लेकिन माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में तीर्थ और पवित्र नदियों के जल में डुबकी लगाने से पापमुक्त होकर स्वर्ग प्राप्त होता है। इसलिए शुक्रवार को पौष माह की पूर्णिमा से माघ मास के स्नान शुरू हो जाएंगे। 


कल्पवास और दान का महत्व


माघ मास में पुण्य प्राप्ति के लिए श्रद्धालु गंगा-यमुना के संगम स्थल पर माघ मास में पूरे तीस दिनों तक यानी पौष पूर्णिमा से माघ मास की पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान के साथ जरूरतमंद लोगों को सर्दी से बचने के लिए ऊनी कपड़े, कंबल और आग तापने के लिए लकड़ी आदि का दान एवं धन और अनाज देने से अनंत पुण्य फल प्राप्त होता है।


माघ मास का महत्व



  1. माघ महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी से ऋतुराज वसंत की शुरुआत होती है। 

  2. माघ मास में महत्त्वपूर्ण व्रत किए जाते हैं जैसे तिल चतुर्थी, रथसप्तमी और भीष्माष्टमी।

  3. माघ शुक्ल चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन कई तरह के फूलों से देवी उमा की पूजा की जाती है। कई जगह उनको फूल के साथ गुड़ और नमक भी चढ़ाया जाता है।

  4. माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया, देवगण ने भगवान विष्णु को तिलों का स्वामी बनाया। इसलिए इस दिन उपवास रखकर तिलों से भगवान की पूजा की जाती है और तिलों का दान कर, तिल खाए जाते हैं।

  5. माघ मास के शुक्लपक्ष में सप्तमी व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। इस व्रत में अरुणोदय काल में सिर पर सात बैर के पत्ते और सात आंकड़े के पत्ते रखकर पवित्र नदी में स्नान किया जाता है और सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। ऐसा करने से रोग खत्म हो जाते हैं।