25 मार्च बुधवार को संवत्सर 2077 के साथ ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाएगी। इस संवत्सर का नाम प्रमादी रहेगा। इसी के साथ परिधावी संवत्सर भी समाप्त हो जाएगा। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवसंवत्सर यानी नयावर्ष आरम्भ होता है, यह अत्यंत पवित्र तिथि है। इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया था। युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को हुआ था।
किसे कहते हैं संवत्सर
भारतीय ज्योतिष के अनुसार संवत्सर 60 होते हैं। जिनके अलग-अलग नाम भी हैं। संवत्सर का उसे कहते हैं जिसमें महीने निवास करते हैं। भारतीय संवत्सर 5 तरह के होते हैं। जिनमें 3 प्रमुख हैं। हर संवत्सर का एक राजा और मंत्रिमंडल होता है। जिनके अनुसार पूरे साल देश में शुभ-अशुभ स्थितियां बनती हैं। इस संवत्सर का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा है। सूर्य का प्रभाव जल, कृषि और रक्षा व्यवस्था पर होगा, बृहस्पति खाद्य और पेट्रोलियम संबंधी मामलों को प्रभावित करेंगे, वहीं शनिदेव चिकित्सा और पशुओं पर प्रभावी होंगे।
देश के लिए शुभ नया संवत्सर
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार नवसंवत्सर में ग्रहों के प्रभाव से विश्वबाजार में भारत की भागीदारी बढ़ेगी। जिससे देश तरक्की करेगा और विश्व के कई देश विषम परिस्थिति में भारत के साथ सहयोग के लिए तत्पर रहेंगे। देश की सीमाएं मजबूत होंगी। इस नववर्ष में चंद्रमा के प्रभाव से विश्व के लोगों का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। जिससे पर्यटन उद्योग को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। इस संवत्सर में देश की कानून व्यवस्था भी मजबूत होगी।
6 राशियों के लिए शुभ
मेष - आर्थिक पक्ष बेहतर होगा।
वृषभ - निवेश से लाभ प्राप्त होगा।
सिंह - विदेश यात्रा के योग हैं। धन लाभ होगा।
कन्या - मित्रों और रिश्तेदारों से मदद मिलेगी। प्रॉपर्टी में फायदा होगा।
धनु - भवन और वाहन से लाभ होगा।
मीन - मान-प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी।
3 राशियों को रहना होगा संभलकर
कर्क - आर्थिक पक्ष कमजोर रह सकता है।
वृश्चिक - धन हानि की संभावना है, कामकाज में रुकावटें आएंगी।
मकर - अनजाना डर बना रहेगा, धन हानि की संभावना है और सेहत भी खराब रहेगी।
3 राशियों के लिए सामान्य रहेगा हिंदू नववर्ष
मिथुन - विवाह और संतान योग बनेगा।
तुला - रुके काम पूरे होंगे, लेकिन खर्चा बढ़ सकता है।
कुंभ - धन लाभ होगा, लेकिन कामकाज में रुकावटें भी आएंगी।